आजकल स्वच्छता और स्वास्थ्य की ओर ध्यान देने की प्रवृत्ति कुछ बढ़ रही है, यह अच्छी बात है। परन्तु केवल दिन में दस बार किसी विशिष्ट साबुन से हाथ धोना या किसी विशिष्ट रसायन से फर्श पर पोंछा लगाना इतने से पूरी स्वच्छता तो नहीं होती..!
आये दिन किसी न किसी परिवार के साथ रहने और भोजन करने का, विशेषत: यात्रा करते समय, अवसर प्राप्त होता है। उस घर की गृहिणी, आजकल तो सभी ’शिक्षित’ ही होती हैं, अपने परिवार के सदस्यों को आतेजाते सफ़ाई का पाठ पढ़ाती दिखायी देती है। परन्तु अधिकांश घरों में एक आवश्यक स्थान की स्वच्छता का विचार ही नहीं किया जाता।
होता यूँ है कि व्यवस्था के अनुसार सप्ताह में एक या दो बार आवश्यक सब्जियाँ तथा फल बाज़ार से खरीद कर लाये जाते हैं और बाज़ार में मिली पॉलिथिन की थैलियों से निकाल कर या उनके साथ ही फ्रिज के अन्दर के प्लास्टिक के टोकरों में रखे जाते हैं…! बाज़ार में उन सब्जियों और फलों के ढेर जहाँ लगे थे, वहाँ की प्रदूषित हवा, धूल, धुआँ, बार-बार छींटा गया पानी और न जाने किस-किस गन्दगी के संसर्ग में वह फल-सब्ज़ी आ चुकी होती है….. और वह सारी गन्दगी उनके साथ फ्रिज के अन्दर पहुँच जाती है…! कभी तो भिण्डी, बैंगन, गोभी जैसी सब्जियों के अन्दर छिपे कीड़े भी उन सब्जियों के साथ फ्रिज के अन्दर विराजमान हो जाते हैं…! फिर तो फ्रिज में पहले से रखे कच्चे-पके सभी पदार्थों के भी दूषित होने का खतरा उपन्न हो जाता है।
अब इस के पीछे कारण समय के अभाव का हो, आलस का हो या अन्य कोई…. परन्तु टॉयलेट-बाथरूम तक की स्वच्छता को लेकर आफ़त मचानेवाले लोग पानी भले ही RO filter से लेकर पीते हों, बाज़ार से लायी फल-सब्ज़ी की सफ़ाई के मामले में ढीले दिखाई देते हैं…! जब कि आवश्यक है कि बाज़ार से लायी फल-सब्ज़ियाँ अच्छी तरह धोकर खुले में फैलाकर पानी निथरने तक सुखायी जायँ और फिर फ्रिज में रखी जायँ…!
क्या करें…. कहा भी नहीं जाता और सहा भी नहीं जाता…!
– स्वामीजी २३मई२०१७
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